नई दिल्ली: भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें अब डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सुरक्षा) नियुक्त किया गया है। यह पद भारतीय सेना में बेहद महत्वपूर्ण और रणनीतिक रूप से निर्णायक माना जाता है।
लेफ्टिनेंट जनरल घई की यह नियुक्ति ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद हुई है, जिसमें भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें ध्वस्त किया था। इस ऑपरेशन में उनकी रणनीतिक नेतृत्व क्षमता और सैन्य संचालन में दक्षता को देखते हुए यह पदोन्नति की गई है।
अब भी निभाएंगे DGMO की जिम्मेदारी
पदोन्नति के बावजूद लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई मौजूदा पद डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के तौर पर कार्यरत रहेंगे। DGMO के रूप में उनका योगदान सेना के ऑपरेशनल संचालन और समन्वय में अहम रहा है।
भारतीय सेना में डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का महत्व
डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सुरक्षा) का पद सेना प्रमुख के बाद दूसरा सबसे वरिष्ठ सैन्य पद होता है। इस पद पर आसीन अधिकारी को सेना की रणनीतिक नीति निर्धारण, सैन्य अभियानों की निगरानी, प्रशासनिक प्रबंधन और रक्षा मंत्रालय से तालमेल का दायित्व मिलता है। सेना के सभी ऑपरेशनल वर्टिकल्स इस पद को रिपोर्ट करते हैं, जिससे यह पद सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है।
पहलगाम आतंकी हमले में निभाई थी निर्णायक भूमिका
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने सेना का नेतृत्व करते हुए जमीनी हालात की ब्रीफिंग नियमित रूप से दी थी। उनके स्पष्ट और सूचनाप्रद बयानों ने न केवल आम जनता को जानकारी दी, बल्कि सेना की तैयारियों और इरादों को भी स्पष्ट किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, उस समय पाकिस्तान के DGMO ने लेफ्टिनेंट जनरल घई से संपर्क कर भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई को रोकने का अनुरोध भी किया था, जिसे सख्ती से नकार दिया गया।