नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेदी बजने से पहले ही दिल्ली से लेकर पटना तक सियासी पारा चढ़ा हुआ है। मंगलवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर बिहार भाजपा के शीर्ष नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। करीब 3 घंटे चली इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति, चुनावी तैयारियों और सबसे अहम, एनडीए (NDA) में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर गहन मंथन हुआ।
बैठक में कौन-कौन रहा मौजूद?
इस हाई-प्रोफाइल बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष, बिहार के दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा, और प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े जैसे दिग्गज नेता शामिल थे। सूत्रों के अनुसार, बैठक का मुख्य फोकस बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे पर था, जो इस बार पिछली बार की तुलना में अधिक जटिल होने की संभावना है। पिछली बार भाजपा और जदयू ही मुख्य सहयोगी थे, लेकिन इस बार चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) भी गठबंधन का हिस्सा हैं।
भाजपा की अहम बैठक में लिए गए प्रमुख फैसले:
- चुनावी रणनीति: गठबंधन के मसलों पर विशेष सतर्कता बरतने की रणनीति तय की गई।
- नेतृत्व: गठबंधन के मामलों का फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा, जबकि प्रदेश स्तर पर समन्वय और साझा रणनीति पर काम किया जाएगा।
- बयानबाजी: अनावश्यक बयानबाजी से बचने के निर्देश दिए गए।
- चुनाव अभियान: अमित शाह के नेतृत्व में जल्द ही एक आक्रामक चुनाव अभियान शुरू होगा, जिसका मुख्य फोकस “एनडीए का सुशासन” और “राजद के शासनकाल की तुलना” पर होगा।
- नारे: विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के नैरेटिव का मुकाबला करते हुए मुख्य मुद्दा “सुशासन” को बनाया जाएगा।
- स्टार प्रचारक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की “जुगलबंदी” अभियान का केंद्र बिंदु होगी।
- कार्यकर्ता सम्मेलन: एनडीए कार्यकर्ताओं की एकजुटता पर जोर दिया गया और 25 सितंबर तक विधानसभा स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
- समिति गठन: चुनाव अभियान समिति का जल्द ही गठन किया जाएगा, जिसमें सभी बड़े नेता शामिल होंगे।
जीतन राम मांझी की 20 सीटों की मांग
एक तरफ जहां दिल्ली में सीट बंटवारे पर मंथन चल रहा था, वहीं दूसरी ओर पटना में जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी के लिए बड़ी मांग रख दी है। उन्होंने कहा कि अगर एनडीए के मन में उनके लिए सहानुभूति है, तो उनकी पार्टी को कम से कम 20 सीटें मिलनी चाहिए। मांझी ने कहा, “यह हमारे कार्यकर्ताओं की भी मांग है कि हमें ऐसी सीटें मिलें, जहां हम अपनी गरिमा बचा सकें।”
कब होंगे चुनाव?
बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने की संभावना है। एनडीए में भाजपा और जदयू 100-100 से अधिक सीटों पर लड़ने की तैयारी में हैं, जिससे चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे सहयोगियों की सीटों की मांग ने गठबंधन के लिए चुनौती बढ़ा दी है। दूसरी ओर, महागठबंधन के लिए भी सीट बंटवारे का संतुलन साधना एक बड़ी चुनौती होगी।